मैं हूँ

  • 6.7k
  • 1.6k

भाग – १ - बिछड़ने का दर्द "उफ्फ... अब यह दर्द सहन नहीं होता..." उस सिपाही के घावों से भरे शरीर ने जैसे चलने से इनकार कर दिया। "कुछ ही देर की बात है, तुझे बॉर्डर के पार पहुँचा दिया जायेगा, आर्मी के राज़ जो तेरे पास हैं, हमें बता कर अपने मुल्क में ऐश की ज़िन्दगी जीना।" दुश्मन देश की सेना के अफसर ने कहा। "पहले ही बात मान लेता तो इतना दर्द सहना ही क्यों पड़ता?" दूसरे अफसर ने भी अपनी बात कही। "उस पर भी विश्वास कहाँ है, कहता है जिन राज़ों को