ए आई डिटेक्टिव

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आखिरकार हुसैन ने वो चीज बना ही ली थी जिसके लिए उसने अपने जीवन की आहुति दे दी। रात दिन एक कर लिए थे। यहाँ तक कि उसकी बीवी भी उसे छोड़ चली थी। उसका तलाक हो चुका था पर हुसैन ने अपनी जिद नही छोड़ी। आज हुसैन फुला न समा रहा था। उसने प्लग निकाला, मशीन पूरी तरह चार्ज हो गयी थी। मशीन हूबहू किसी इंसानी शक्ल वाली तो नही थी पर किसी रोबोट की तरह प्रतीत हो रही थी। भिन्न भिन्न धातुओं से बना हुआ था उसका शरीर। आंखे अंडाकार और भयानक लग रही थी। हुसैन ने मशीन