जी-मेल एक्सप्रेस - 15

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जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 15. मैं अचानक बड़ी हो गई... क्वीना लिखती है, समीर की वह हँसी उसके दिलोदिमाग पर छाई रही। वह सोचने लगी, अब तक उसे ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला जो क्वीना की खुशी से खुश होता हो। अब तक उसके जितने भी दोस्त बने थे, उन सबके प्यार में स्वार्थ था। वे क्वीना के माध्यम से खुद को संतुष्ट करते रहे, किसी ने भी क्वीना की मर्जी जानने की कोशिश नहीं की। क्वीना लिखती है कि बेशक उन्होंने उस पर कीमती तोहफे लुटाए, मगर इसलिए नहीं कि क्वीना को उनकी जरूरत थी या वह उन्हें पसंद