विवेक और 41 मिनिट.......... तमिल लेखक राजेश कुमार हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा संपादक रितु वर्मा अध्याय 14 सुबह समय 7.45. सुंदर पांडियन के बंगले के कम्पाउण्ड का गेट बंद था कार को गेट के सामने खड़ी करके विवेक ने हॉर्न दिया वॉचमेन ने विकेट डोर को खोल कर देखा और पास में दौड़ कर आया कार के पीछे बैठे डी. जी. पी. शर्मा ने गुस्से से झांक कर देखा “क्यों गेट को खोले बिना ही दौड़ कर आ रहे हो ?” “साहब.....! आपको मिलने के लिए ही जज साहब पुलिस जीप में रवाना हो गए.....”