योगिनी 18 (पुनरावतरण) बर्फ़ीला तूफ़ान थम चुका था और आकाश में बादल छंटने लगे थे. बादलों के बीच से कहीं कहीं तारे भी दिखाई देने लगे थे. हिमपात इतना अधिक हुआ था कि उन नक्षत्रों के टिमटिमाते प्रकाश में सम्पूर्ण धरा रजत-आच्छादित लग रही थी. ऊपर देखने पर मीरा को बर्फ़ीली चोटियां बहुत दूर नहीं लग रहीं थीं, परंतु मीरा जानती थी कि वे हैं बहुत दूर. हिमाच्छादन के कारण मीरा गौर्नरग्राट नामक रेल-स्टेशन की स्थिति का अनुमान नहीं लगा पा रही थी. और न उसकी दूरी का सही आकलन कर पा रही थी. वह इतना समझ गई थी कि