योगिनी 15 काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर मीता ने बाथरूम में जाकर अपना योगिनी का चोला उतार दिया और साड़ी पहिन ली। काठगोदाम एक्सप्रेस समय से चल दी। शीतकाल होने के कारण बर्थ खाली मिल गई और मीता कम्बल ओढ़कर लेट गई। मीता को अनुज के साथ बिताये प्रारम्भिक दिनों के दृश्य एक एक कर ऐसे याद आने लगे, जैसे सिनेमा के पर्दे पर चित्र उभर कर आयें और मिटते जायें। कुछ दृश्य क्षण दो क्षण में विलीन हो जाते, तो कुछ देर तक रुके रहते। मानव स्वभावानुसार वे दृश्य देर तक उभरे रहते, जो मीता के मन में काॅटा