देस बिराना - 30

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देस बिराना किस्त तीस हॉस्टल में हमारा यह तीसरा दिन था। आखिरी दिन। बड़ी मुश्किल से हमें एक और दिन की मोहलत मिल पायी थी। इतना ज़रूर हो गया था कि अगर हम चाहते तो आगे की तारीखों की एडवांस बुकिंग करवा सकते थे लेकिन अभी एक बार तो हॉस्टल खाली करना ही था। हमारा पहला दिन तो बलविन्दर को खोजने और उसे खोने में ही चला गया था। वहां से वापिस आने के बाद मैं कमरे से निकली ही नहीं थी। हरीश बेचारा खाने के लिए कई बार पूछने आया था। उसके बहुत जिद करने पर मैंने सिर्फ सूप