तंज़

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घरेलू बिजली उपकरण बनाने वाली कंपनी के बिक्री विभाग में लगे नदीम का समय अक्सर सफर में बीतता था। ट्रेन में समय काटने के लिए वह अक्सर आस-पास यात्रियों से बातों में मशगूल हो जाता। कभी उनकी सुनते और कभी अपनी कहते वक़्त आसानी से कट जाता। एक दिन नीचे चादर बिछा कर बैठे मज़दूर से उसकी जन्मपत्री मालूम करने के बाद नदीम ने अपना तीर छोड़ा। "मौज तो तुम गरीब-लेबर क्लास और अमीरों की है। देश का सारा टैक्स तो मिडिल क्लास को देना पड़ता है। एक को सब्सिडी तो दूसरे को लूट माफ़ी।" सहयात्रियों से "कौनसा स्टेशन आ