एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-49 परम ने तनु को बताया नहीं था कि वह आ रहा है। वहाँ पहुँचकर वह उसे सरप्राईज देना चाहता था। तभी जब भरत विला पहुँचकर वह टैक्सी से उतरा तो दरबान भागे-भागे आये उसका सामान उठाने सब को आश्चर्य हो रहा था कि वह टैक्सी से क्यों आया है। ड्राइंगरूम में जैसे ही पहुँचा वह रसोईघर से बाहर निकलती शारदा की नजर उस पर पड़ी। क्षण भर के लिये वह भौचक्की सी खड़ी रही फिर अचानक खुश होकर परम की ओर आयी- ''अरे बेटा तुम अचानक खबर भी नहीं दी, कैसे आए?"