दो अजनबी और वो आवाज़ भाग-5 जैसे मैं किसी अंधेरे कमरे में बंद हूँ, जहां चाहकर भी मैं कुछ देख नहीं पा रही हूँ। अंधेरा इतना घना है कि हाथ को हाथ की सुध नहीं, मानो जैसे मैं सच में अंधी हो गयी हूँ। आती हुई आवाज़ें मुझे परेशान कर रही हैं। मैं बेचैनी से छटपटा रही हूँ। सुनो तुम कौन हो...? मैं अब भी नहीं जान पायी हूँ। लेकिन अभी इस वक़्त तुम्हारी आवाज मुझे डरा रही है। मुझे यहाँ से बाहर निकालो प्लीज....नहीं तो मैं मर जाऊँगी। मैं देख क्यूँ नहीं पा रही हूँ। क्या मैं सच में