बड़ी माँ यह कहानी एक माँ की जुबानी है। हम सब उनको बड़ी माँ कहते हैं । मेरा उनसे प्रेम का रिश्ता है। मैं अक्सर उनके पास जाकर घंटों उनसे बातें करती हूँ। आज तक उनके मुंह से आह या दुख का शब्द नहीं सुना । पर आज लगभग अस्सी साल की उम्र में उनके दुख का बाँध मानो टूट गया । उनकी आंखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आज तक उन्होंने अपनी कहानी नहीं बताई थी। मुझे लगता था कि सब कुछ स्वाभाविक रूप से चल रहा है। उनके पति की मृत्यु हो चुकी थी कब हुई थी