मृत्यु - जीवन का अंतिम और परम सखा

  • 7k
  • 2
  • 1.1k

मृत्यु - जीवन का अंतिम और परम सखा आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी (81 वर्ष ) हिंदी एवं संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान तथा साहित्य के क्षेत्र में दैदीप्यमान नक्षत्र है। उन्होंने जबलपुर, वाराणसी, वृंदावन आदि शहरों में शिक्षा ग्रहण की है। वे रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में संस्कृत एवं पालि प्राकृत विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष, कालिदास अकादमी, उज्जैन के निदेशक के पद पर रहे है एवं राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित आचार्य है। उन्होंने अनेक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन भी किया है जिनमें से प्रमुख है द्वैत वेदान्त तत्व समीक्षा, विवेक मकरन्द, जयतीर्थ स्तुति, अज्ञात का स्वागत, पिबत भागवतम्, राधा भावसूत्र