बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 9 लड्डू घाटी लड्डू घाटी पहाड़गंज का विशेष मुहल्ला हुआ करता था/है। यह रेलवे स्टेशन के करीब पड़ता था/है। अब तो सारा पहाड़गंज ही होटलों से भर गया है। तब साधारण से घर हुआ करते थे। पहले इकहरी मंज़िलें ही हुआ करती थीं, पर फिर ज़रूरत के अनुसार मंज़िलें ऊपर बढ़ने लगीं। वह वक्त ऐसा था कि पहाड़गंज में भैंसों की डेरियाँ भी होती थीं और दूधिये दूध बेचने हमारे घर आया करते थे। इस सारे इलाके का उस वक्त का जीवन ग्रामीण-सा ही होता था। लड्डू घाटी में हमारा एक