एक जिंदगी - दो चाहतें - 45

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-45 'तुमने आवाज किस दिशा से सुनी थी? अर्जुन ने शमशेर से सवाल किया। शमशेर ने एक ओर इशारा किया। हांलाकी जंगल में आप ठीक अंदाजा नहीं लगा सकते कि आवाज इसी निश्चित दिशा से आ रही है लेकिन एहतियात के तौर पर अर्जुन ने उस दिशा की ओर लक्ष्य करते हुए सबको पेड़ों की आड़ में छुपकर अलर्ट रहने को कहा और उसी दिशा में निशाना साधकर ओपन फायर खोलने को तैयार रहने को कहकर खुद परम के साथ और शमशेर के साथ उस दिशा में आगे बढऩे लगा। थोड़ी ही दूरी