मंजूषा

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कहानी -- मंजूषा✍?उसकी आँखें और मुस्कराहट हमेशा से इतनी रहस्यमयी नहीं थी लेकिन जबसे उनके कमरे में वह जड़ाऊ पिटारा आया था तब से वह खुद भी रहस्यमयी हो गई थी ।सभी जानते थे कि वह उस पिटारे को खोलकर नहीं दिखाएंगी क्योंकि वह सभी के इस आग्रह को ठुकरा चुकी थी ।यहाँ तक की जिन पोते-पोतियों पर वह इतना स्नेह लुटाती थी ,उनको भी उस पिटारे से दूर ही रहने को कहती ।वैसे भी नजदीक जाकर कोई कर भी क्या सकता था,उन्होनें उस पर ताला जो लगा रखा था वर्ना उनका रहस्य अभी तक रहस्य न रहता ।