आषाढ़ का फिर वही एक दिन - 1

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आषाढ़ का फिर वही एक दिन (कहानी: पंकज सुबीर) (1) टिंग-टिड़िंग टिड़िंग-टिड़िंग, टिंग-टिड़िंग टिड़िंग-टिड़िंग, ये मोबाइल का अलार्म है । जो रोज़ सुबह खंडहर हो चुके सरकारी आवासों वाली तीन मंज़िला बिल्डिंग के दूसरे माले में बजता है । क़तार में खड़ी, पीले रंग से पुती हुई इन बिल्डिंगों में कई कई परिवार समाये हुए हैं । समाये हुए हैं दो कमरों, किचिन, लेट बाथ वाले मकानों की दुनिया में । उन्हीं में से एक मकान में ठीक पाँच बजे बजता है ये मोबाइल । वैसे तो लगभग हर घर में इसी समय किसी न किसी रूप में ये अलार्म