हूक - 3 - अंतिम भाग

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हूक (3) दिमाग जिस तरफ इशारा कर रहा था आत्मा उसे मानने से छिटक रही थी | मुझे मौन देख फूला बुआ ने पूछा “ किस सोच में हो बिट्टी अब तुम दो दिन को ही आई हो काहे हलकान हो रही हो छछूंदर के पीछे, सब जानत हैं पैंतीस, चालीस साल की बिटिया ई पापी बाप बिन ब्याहे बैठाए है पचास लाख रूपया कुल संपत्ति बिटिया के नाम कर दिये और ये हरहट कम ऐबिन नहीं नागिन ऐसी गोलियाय के बैठी है सोलह बरिस के बनी है साज सिंगार देखो कवनो सुहागन से कम है क्या ?लाली लिपस्टिक चौबीस घंटा पोते नाजाने सोवत बख्त मुंह धोवत है की नाही, अब अगर कभी शादी करने को समझावे तो झनकही गईया जैसन बिदक जात है कहे लगी “ -------- “ नहीं करनी