अस्वत्थामा (हो सकता है) - 7

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आज रविवार था । सुबह सुबह अपने किराए के घर के बाहर खुर्शी डाल के जिग्नेश बैठा था । तभी उस घर के मकान मालिक रतनभाई किराया लेने पहोच गए । उसे देख के जिग्नेश बोला आप परसो आना रतनकाका अभी जुनागढ की बैंक से मनीऑर्डर नही आया है । ये सुन के रतनभाई हँसने लगे और वापस लौटते लौटते बोलते गए ना जाने कैसा उटपटांग बाप मिला है तुजे ? वहा जुनागढ मे दान धर्मादा करने के लिए उसके पास अढळक पूंजी है पर यहा बेटे को पढाने मे एक एक पाई का हिसाब रखता है । ये