विवेक और 41 मिनिट.......... तमिल लेखक राजेश कुमार हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा संपादक रितु वर्मा अध्याय 9 वेदनायकम अस्पताल में बीमारी कुछ ठीक होने पर, जनार्दन ने बैठ कर अपने सामने बैठे डी. जी. पी. शर्मा पर एक चकित नजर डाली “साहब मेरे पुत्र विनोदकुमार को छुड़वाने के लिए एक हाई कोर्ट जज को धमकी देने लायक मैं कोई क्रिमिनल नहीं हूँ मेरा बेटा जानते बूझते या अनजाने में एक हत्या के केस में फंस गया सच में उसका उस हत्या से कुछ भी संबंध नहीं है संदर्भ और साक्ष्य उसके विपरीत होने के