एक जिंदगी - दो चाहतें - 43

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-43 सुबह अपने समय पर परम की आँख खुल गयी। आज उसे अर्जुन की याद आ गयी। छ: दिन हो गये थे परम को यहाँ आए पर उधर के कुछ हालचाल ही नहीं लिये थे उसने अभी सुबह के पाँच बजे थे। परम ने सेाचा सात बजे वह अर्जुन को फोन लगाएगा। अभी तो वह सो रहा होगा या फिर आफिस जाने की तैयारी कर रहा होगा। परम वॉशरूम में जाकर फे्रश हो आया। तनु अभी तक सो रही थी। परम उसके पास बैठ गया। उसके शरीर की बॉयोलॉजी आजकल हर पल बदलती