बाजी अठन्नी की 

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आकांक्षाओं से भरे वो दिन , जब हम नन्हे - नन्हे कदमो से दौड़ने की होड़ में गिरते - सम्हलते मंजिल तक पहुंच जाया करते थे ! तब भी हमें एक दूसरे को हराने की सोच हुआ करती थी, लेकिन उस वक़्त हमें किसी को छोड़ देने या बातें करना बंद कर देने की आदत या सोच नहीं हुआ करती थी ! और हम आसानी से हार - जीत कर के भी एक साथ खुशियां मनाया करते थे, और तो और ख़ुशी भी इस तरीके की हुआ करती थी की आनंद ही आ जाता था ! हारने वाली टीम पैसा दिया