ऑखें

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सुनंदा डॉक्टर थी।आईं सर्जन यानि ऑखों की डाक्टर।नेत्र विशेषज्ञ।वह एक सामाजिक संस्था सेभी जुड़ी हुई थी।उसका काम था नेत्रदान केलिए लोगो को प्रेरित करना।नेत्रदान करने वाले व्यक्ति की म्रुत्यु के बाद उसकी ऑखें निकालकर अंधे व्यक्ति को लगाकर उसकी जिन्दगी मे उजाला लाना।असलम सुनंदा का डाईवर था औऱ मेरी नर्स थी।असलम शरीीी,नेकदिल औऱ विश्वासपात्र आदमीथा।मेरी विधवा थी।एक दिन एक आदमी की मौत हो गई।इस आदमी ने नेत्रदान कर रखे थे।सुनंदा उस आदमी की ऑखें लेने कार से उसके घर जा रही थी।रास्ते मे कार की बस से टक्कर हो गई।सुनंदा को तो मामूली चोट आयीथी।,लेकिन असलम औऱ मेरी बुरी तरह