यूँ तो रजनी मोरवाल जी का साहित्य के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है और मेरा भी उनसे परिचय फेसबुक के ज़रिए काफी समय से है लेकिन अब से पहले कभी उनका लिखा पढ़ने का संयोग नहीं बन पाया। इस बार के पुस्तक मेले से पहले ही ये ठान लिया था कि इस बार मुझे उनकी लिखी किताबें पढ़नी हैं। इसी कड़ी में जब मैंने उनका ताज़ा लिखा उपन्यास "गली हसनपुरा" पढ़ना शुरू किया तो शुरुआती पृष्ठों से ही उनकी धाराप्रवाह लेखनशैली और ज़मीन से जुड़े मुद्दों ने मन मोह लिया। बीच बीच में स्थानीय भाषा का प्रयोग भी अपनी