नई चेतना - 2

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धीरे धीरे चलते हुए अमर फैक्ट्री पहुँच गया । सभी मजदूर अपना अपना काम शुरू कर चुके थे । धनिया भी अपने काम में मशगुल हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो । थोड़ी देर तक अमर ऑफिस की खिड़की से एकटक धनिया की ओर ही देखता रहा और अंदाजा लगाता रहा कि धनिया ने वाकई अपनी मर्जी से ही सहमति दर्शायी थी या फिर उसने उसके रुतबे से सहम कर समझौता कर लिया था। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था क्योंकि धनिया ने इस आधे घंटे के दौरान एक बार भी उसकी