एक जिंदगी - दो चाहतें - 42

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-42 दूसरे दिन सवा दस बजे परम और तनु डॉक्टर के यहाँ जाने के लिए निकले। ड्रायवर ने कार लाकर घर के सामने खड़ी कर दी। परम ने उसे कहा कि ड्राईव वो खुद कर लेगा और कार की चाबियाँ ले लीं। उसने तनु को बिठाया और डॉक्टर के