चाबी (कहानी : पंकज सुबीर) ‘सीमा जी नहीं हैं क्या ?’ रश्मि ने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो सामने हाथ में ब्रीफकेस थामे लगभग चालीस पैंतालीस साल का एक आदमी खड़ा था। रश्मि को देख कर उस आदमी के चेहरे पर कुछ उलझन, कुछ प्रश्न भरे भाव उभरे। और उसी भाव में उस आदमी ने रश्मि से प्रश्न किया। ‘जी वो बाथरूम में हैं, कुछ काम है आपको?’ रश्मि ने उत्तर भी दिया और प्रश्न भी किया। ‘नहीं कुछ खास काम नहीं है, बस आप ये चाबी उनको दे दीजियेगा।’ उस आदमी ने एक चाबी का गुच्छा रश्मि की ओर