नग्न मानसिकता के महिलावादी

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हर जीव् का एक नैसर्गिक स्वभाव होता है.. ठीक वैसे ही पुरुष है।। चरित्र और काम वासना पुरुषो का नैसर्गिक रूप से सबसे अधिक कमज़ोर और संवेदनशील बिंदु है… और चालाक औरते पुरुषो के इसी पॉइंट पर प्रहार करके उन्हें अपना दास या भोगी बनाने का प्रयास करती है… इसीलिए तो प्राचीन काल में ऋषि मुनियो की तपस्या भंग करने के लिए अप्सराओ की मदद ली जाती थी… और यही कारण था की पुरुषो के गुरुकुल के आस पास दूर दूर तक कोई वैश्यालय नहीं होता था जिस से पुरुष भटक न जाए… फिल्म तरीकाये जिस प्रकार सिनेमा के पर्दे