नॉमिनी मधु अरोड़ा (2) कुछ सोचकर उसने अपने ससुर को फोन लगाया। फोन पर ससुरजी की आवाज़ गूंजी, ‘बेटे रवि, लिफाफा मिल गया?’ सपना ने कहा, ‘मैं सपना बोल रही हूं। लिफाफा मिल गया है। आपने रूपये किस चीज़ के दिये हैं, यदि आपको ऐतराज़ न हो तो मुझे बतायेंगे?’ दूसरी ओर से आवाज़ आई, ‘मैंने अपना बंगला बेचा है, तो जो फायदा हुआ है, उसमें से अपने बेटों को एक-एक लाख दिया है, पर तुम क्यों पूछ रही हो? इसमें तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं है।‘ पत्र तो रवि के नाम था। तुमने क्यों खोला?’ सपना गुस्से में तो थी ही। उसने आव देखा और न