बहीखाता - 1

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बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 1 पहला कदम बचपन की पहली याद के बारे में सोचती हूँ तो मुँह पर ठांय-से पड़े एक ज़ोरदार थप्पड़ की याद आ जाती है। इस थप्पड़ से पहले की कुछ यादें अवश्य हैं, पर वे सभी यादें धुँधली-सी हैं। इसी प्रकार धुँधली-सी स्मृति वह भी है जब मैं गांव कांजली में गुरु ग्रंथ साहिब की ताबिया पर बैठकर पाठ किया करती थी। मेरे नाना जी ने बचपन में ही मुझे बहुत सारी बाणी कंठस्थ करवा दी थी। परंतु यह थप्पड़ वाली याद कुछ अधिक साफ़ है। जब थप्पड़ बजा होगा