एक शाम गुमनाम सी श्री मोहन शशि (83 वर्ष) साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में एक आधार स्तंभ एवं नये युग के सूत्रपात के रूप में जाने जाते हैं। वे वरिष्ठों का सम्मान, समव्यस्कों से स्नेह और कनिष्ठों को प्रोत्साहन देने के स्वभाव के कारण सभी वर्गों में सम्माननीय है। उनसे मुलाकात होने पर इस अवस्था में भी उनकी युवा लोगों के समान सक्रियता, उनके कर्मठ जीवन का प्रमाण है। उनके अनुसार जीवन एवं मृत्यु के प्रति धारणा ... क्या कहूँ ? हम तो कठपुतली है, डोर ऊपर वाले के हाथ ! उनके ही इशारों पर नाच रहे