नॉमिनी - 1

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नॉमिनी मधु अरोड़ा (1) तुम्‍हारी हर बार की चुप्‍पी का क्‍या अर्थ समझूं? जब जब मैं तुमसे तुम्‍हारे परिवार के बारे में कोई सवाल करती हूं या जानना चाहती हूं तुम ख़ुद को ख़ोह में क्‍यों बंद कर लेते हो? कभी बता पाओगे? तुम्‍हारे पिताजी जो उल्‍टी-सीधी ख़तो-किताबत करते रहते हैं इसका क्‍या अर्थ लगाऊं? एक मुसीबत से उबरती हूं तो दूसरी खड़ी हो जाती है। इन मुसीबतों को भी क्‍या मैं ही मिलती हूं? देख लो रवि, सारी कारस्‍तानियां तुम्‍हारे परिवार से ही क्‍यों शुरू होती हैं? तुम्‍हारी पसन्‍द हूं न मैं? फिर अपना मुंह क्‍यों नहीं खोलते? तुम्‍हारी