सत्या - 22

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सत्या 22 बरामदे की खटिया पर चादर ओढ़ कर बैठा शंकर अपने नाख़ून कुतर रहा था. औरतों का जमघट लगा था. कोई जमीन पर बैठी थी तो कई खड़ी थीं. सत्या उनके बीच आते ही बोला, “और मीरा देवी आपकी पढ़ाई का क्या विचार है? मैट्रिक का एक्ज़ाम लिखना है न? नई किताबों पर धूल जम रही है.” मीरा, “ये सब झंझट आ गया था इसीलिए. बस कल से शुरू करते हैं.” सत्या ने समझाया, “रोज़ ही कोई न कोई बात होगी. लेकिन पढ़ाई हमको जारी रखनी है. हम तो बोलते हैं कल कभी नहीं आता. आज ही से शुरू