एक जिंदगी - दो चाहतें - 36

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-36 दयाबेन के आने से तनु का मन थोड़ा ठीक हुआ। घर में अपने अलावा किसी और के भी पास होने का अहसास काफी तसल्ली भरा था। दयाबेन तनु की दिनचर्या में या काम में कोई बाधा नहीं डालती थी लेकिन घर में उनकी उपस्थिति से तनु को बहुत राहत मिलती थी और मन में एक अच्छापन सा लगता रहता था। और ऑफिस में अनूप के साथ बाते करके उसका मन लगा रहता। परम की याद तो काम के दौरान भी पूरे समय दिन दिमाग पर छायी रहती थी फिर भी अनूप से