विवेक और 41 मिनिट - 4

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विवेक और 41 मिनिट.......... तमिल लेखक राजेश कुमार हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा संपादक रितु वर्मा अध्याय 4 शोखरम विवेक बाईपास रोड में तेजी से कार को दौड़ाता हुआ सुनसान जगह जहां कुछ कांटेदार झाड़ियाँ थी उसकी ओर गया “बॉस..........” विष्णु ने बुलाया “हाँ...............” “कहाँ जा रहे हैं............... क्यों जा रहे हैं मुझे बताना नहीं चाहिए क्या............. आजकल आप बहुत ही रहस्यमय योगी हो गए हो ” “FIRE ARMS” को पढ़ लिया............?” “पढ़ लिया..............” “ठीक है सुनसान जगह के बाईं ओर थोड़ा मुड कर देखो...........” विष्णु ने मुड़ कर देखा दो सौ मीटर की दूरी पर