औघड़ का दान प्रदीप श्रीवास्तव भाग-7 बाबा ने कुछ क्षण उंगलियों को उसी तरह रखने के बाद पुनः जय महाकाल का स्वर ऊंचा किया और उन तीनों उंगलियों को अपने मस्तक के मध्य स्पर्श करा दिया। इस बीच सोफी ने कई बार उन्हें आंखें खोल-खोल देखा और फिर बंद कर लिया। वह अपने शरीर में कई जगह तनाव महसूस कर रही थी। उसके मन में अब तुरत-फुरत ही यह प्रश्न भी उठ खड़ा हुआ कि आखिर बाबा जी कर क्या रहे हैं, कौन सी प्रक्रिया है जिसे पूरी कर रहे हैं। यह सोच ही रही थी कि उसने बाबा का