उस बुजुर्ग की दीवाली

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जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई हैं मृत्यु, पर उससे भी कटु सत्य हैं वृद्धावस्था। एक कविता के माध्यम से मैंने बुज़ुर्गों के प्रति अपने कर्तव्यों को और इस अवस्था में उनके भावों को समाज तक पहुचाने की कोशिश की हैं, इसे पढें और थोड़ी सी खुशियां इनके साथ भी बाटें। दीवाली का समय था एक रेलवे स्टेशन पर एक बूढ़े बाबा अकेले कमजोर अवस्था में सोए हुए थें,कोई भी उनकी मदद नहीं कर रहा था।सब अपने में ही लगे हुए थें पर कुछ अच्छे लोगों ने उनकी मदद की और दीवाली की कुछ खुशियां उनके साथ बाटी, पर मदद मिलने