‘ओफ्हो, छोड़ो भी अब अंकुर । ऑफिस के लिए देर हो रही है मुझे ।’ अंकुर की बाहों को अपने कन्धे से हटाते हुए आरती ने कहा ।‘अरे यार । ये बैंक वाले हर शनिवार बैंक बंद क्यों नहीं रखते ?’ अंकुर ने धीमे से आरती का हाथ खींचकर उसे पुनः अपनी बांहों में भर लिया ।‘जनाब, हम बैंक वालों को तुम प्रायवेट जॉब वालों से ज्यादा काम होता है । अब हटो भी, देर हो रही है ।’ अंकुर की पकड़ से छूटते हुए आरती ने कहा ।‘हम प्रायवेट जॉब वालों को कुछ पर्सनल काम भी होते है मोहतरमा