समीक्षा - फैलसूफ़ियां (राजीव तनेजा का व्यंग्य कहानी संग्रह)

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भूमिका मैं राजीव तनेजा जी को मैं कई वर्षों से जानती हूँ। उनसे पहला परिचय फेसबुक पर ही हुआ। वे अक्सर लोगों के स्टेट्स से एक पंक्ति उठाकर टू लाइनर लिखते थे। उसी क्रम में कई बार उन्हें पढ़ने का अवसर मिला। उनके सेंस ऑफ़ ह्यूमर से ही परिचित थी। बाद में, जिन दिनों मैं अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के साहित्यिक कार्यक्रम डायलाग से जुड़ी हुई थी, उनसे कई बार कार्यक्रम में मुलाकात हुई। राजीव जी अक्सर अपनी पत्नी संजू तनेजा जी के साथ आते थे। एक ही रूट था तो साथ आते-जाते हम लोगों में बातचीत होने लगी