संकलन

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वो चर-चर में है, है वो अचर में भीवो कण-कण में है, है वो गगन में भीवो विधाता है संपूर्ण संसार का,है वो मनुष्य मन में भी??? ।। धन्यवाद ।।परमेश्वर को धन्यवाद कर, मैं, निकिता राजपूत अपनी पुस्तक का आरंभ करती हूँ।तत्पश्चात, मैं मातृभारती टीम का धन्यवाद करती हूँ जिससे मुझे मिलने का अवसर विश्व पुस्तक मेला 2020 में प्राप्त हुआ एवं अपने लेखन को पत्र के अतिरिक्त ई-पुस्तिका के रूप में प्रकाशित करने का मार्ग मिला।अंत में मैं अपने परिवार, मित्रों, सहयोगियो एवं पाठको का धन्यवाद करती हूँ जिनसे मुझे सदैव प्रेरणा मिलती है।???----इतिहास----हो वारदात कोई या कोई घटनासुखद हो