कीमत

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कीमत “अभी तो मेरे हाथों की मेहँदी भी नहीं उतरी और आप...” - शारदा ने अपने आँसू पोंछते हुए डबडबाई आवाज़ में अपने पति राधेश्याम से पूछा, लेकिन राधेश्याम ने उसे बात पूरी नहीं करने दी और बीच में ही उसे टोकते हुए बोला – “तुम सारी की सारी औरतें ही एक जैसी होती हो, मैं तुम्हारी मेहँदी को देखता रहूँ या कुछ कमाई करूँ?” “कमाई तो यहाँ भी हो सकती है|” “यहाँ क्या खाक कमाई होती है, खेत में फसल तो होती नहीं, कर्ज़ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है, अगर कुछ दिन और खेती से कमाई की उम्मीद में