उन दिनों बहुत कम घरों में फोन होते थे। सुविधानुसार लैंडलाईन पर बात करने के लिए मोहल्ले वाले अपनी रिश्तेदारियों में पड़ौसियों का नम्बर दे देते थे। ताकि अड़ी–भीड़ में रिश्तेदारियों की खोज–ख़बर मिलती रहे । वैसे तो पड़ौसियों के फोन आने से फोन मालिकों को बड़ी परेशानी होती थी । लेकिन जिस घर में छोटे बच्चे होते थे, उस घर में फोन की घंटी बजना घर के छोटे बच्चों के लिए एक खेल के माफ़िक था। जब भी फोन की घंटी बजती तो बच्चे एक–दूसरे से आगे भागते कि सबसे पहले कौन फोन उठाएगा। फिर यदि किसी पड़ौसी के लिए