बदलाव की बयार

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परिवर्तन प्रकृति का नियम है। परिवर्तन प्रगति का सूचक भी है। कुछ चीजों का बदलना सुखद होता है और कुछ चीजें बदलने के साथ दुःख दे जाती हैं। सुख और दुःख भी तो एक सिक्के के दो पहलू हैं। वक़्त भी कब एक जैसा रहता है। मनुष्य भी प्रकृति से निरपेक्ष कब रह पाया है... वह भी बदलता है, ये अलग बात है कि उसके बदलने के साथ काफी कुछ बदल जाता है….. या यूँ कहें कि समूचा परिवेश बदल जाता है।'हंसते पान, बोलती सुपारी' ये मेरी पसन्दीदा कहानियों में से एक थी। अम्मा के मुँह से कहानियां