ले देख

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ले देख नीलम कुलश्रेष्ठ मटमैली सह्रदयी पहाड़ियों पर से कैब गुज़रती जा रही थी। कभी मैदान सा आ जाता, कभी सर्पीली चढ़ाई शुरू हो जाती. मम्मी तो सापूतारा के तीन हज़ार फ़ीट की ऊंचाई के कारण कितना हंसी थीं, वाह ! गुजरात के सापूतारा हिल स्टेशन --ज़रा मिट्टी का ढेर लग गया उसे ही `हिल्स `कह दिया। वह उनकी बात पर रूठ गई थी, `अच्छा खासा तो हिल स्टेशन है, बीच में लेक है। वह उसके गाल पर चपत लगाकर बोलीं थीं, जब यू.पी.की हिल्स व कश्मीर देख लोगी तो तुम भी इस पर हंसोगी। सापूतारा--- अर्थात