बेला दरवाजे पर खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी। फिर वह धीरे से रूम का दरवाजा बंद करती है जहां चिंटू और सुमति आराम से सो रहे थे। पर उस बेचारी को क्या पता के ये दोनों आधी रात के बाद से जगे हुए ही थे। बेला जब नीचे आती है तब सुबह के छे बजे थे। कोई पंद्रह मिनट बाद मोहन भी इवान को लेकर आ गया था। अभी बारिश रुक गई थी तो से लोग यहां से जल्दी निकलना चाहते थे। इवान आकर बेला से शिकायत करने लगता है- क्या इतनी जल्दी उठा दिया ये भाई साहब ने? इसे