काश! ऐसा होता.....

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काश! ऐसा होता..... सुधा ओम ढींगरा पति की नौकरी ही ऐसी थी कि देश-देश, शहर-शहर घूमते हुए अंत में, हम भूमण्डल के एक बड़े टुकड़े के छोटे से हिस्से में आ गए और यहीं स्थापित होने का मन बना लिया। बच्चे बड़े हो रहे हैं और इस शहर को अपना अंतिम पड़ाव बनाने का हमारा निवेदन कम्पनी ने स्वीकार कर लिया। शहर छोटा ज़रूर है, पर बड़े शहरों जैसी हर सुविधा यहाँ उपलब्ध है। बच्चों के पालन-पोषण के लिए यह स्थान उत्तम और सुरक्षित माना जाता है। इस शहर के बारे में वर्षों से अख़बारों और मैगज़ीनों में पढ़ रही