लाख़ बहाने

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पण्डित भगवानदास जी का भरापूरा परिवार है। परिवार में सात बेटे, बेटों की पत्नीयाँ। पन्द्रह पोते-पोतियों की किलकारियों के संगीत से हर वक्त एक मनोहारी वातावरण घर में बना रहता है। पण्डित जी स्वयं को संसार का सबसे सुखी व्यक्ति अनुभव करते हैं। गाँव में पण्डित जी के परिवार का एक अलग ही रुत्बा है। गाँव की कोई भी छोटी-बड़ी समस्या होती उसके समाधान मंे पण्डित जी की एक अहम भूमिका होती थी। लेकिन उनके मन में एक कसक हमेशा रहती है। वह कसक है, रामदिया बाल्मीकि के केस में दिया गया गलत फैसला। वह फैसला उन्हें अन्दर-अन्दर दीमक की