भगवान की भूल - 9 - अंतिम भाग

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भगवान की भूल प्रदीप श्रीवास्तव भाग-9 मैंने हर बाधा का रास्ता निकाला और सारी रस्में पूरी कीं। सिर भी मुंडवा दिया। मैं वहां हर किसी के लिए एक अजूबा थी और अजूबा कर रही थी। मौसी का लड़का, सिर नहीं मुंडवाना चाहता था। उसे अपनी प्यारी हेयर स्टाइल से बिछुड़ना सहन नहीं हो रहा था। मां और मेरे दबाव से माना। वह मुझे दीदी कहता था। मगर सिर तभी मुंड़वाया जब मैंने यह कह दिया कि यदि तुम अपने फादर से प्यार नहीं करते हो तो मत मुंड़वाओ। मेरी इस बात का उस पर बिजली सा असर हुआ। इसके बाद