जैसे ही भात देने की रस्म पूरी कर विमल अपनी पत्नी, बेटा, बेटी, दामाद और अन्य परिवार जनों के साथ अपनी बहन संध्या के घर में प्रविष्ट हुए, घर की महिलाओं ने सब को आदर से बैठक में बिठा कर सामने मिठाई और नाश्ते की प्लेटें सजा दी| आँगन में कुछ महिलायें भात के गीत गा रहीं थीं -".भातईया बैठा बीच आँगन खोले गठरी ...जेवर लाया, कपड़ा लाया, लाया चुंदरी ..... |" इतने में बहन की जेठानी नीता एक थाल में मठरी और घी-बूरा ले कर आ गई और बोली- "अरे भाई जी पहले ये खाकर मुंह मीठा की रस्म करो फिर बाकी पकवान खाना|" विमल की