बेटियों के दरिंदे

(18)
  • 8.3k
  • 2.1k

एक कविता बेटियों के नाम करना चाहूंगा,आजकल की जो घटनाएं हो रहीं हैं हमें उसके खिलाफ आवाज उठाना ही होगा,हमें बेटियों की रक्षा इन्न दरिंदो से करनी ही होगी वरना बेटियां एक डर की जिंदगी जीने को मजबूर होने लगेंगी,सबसे पहले हमें हमारी और हमारे बच्चों की और समाज की नकारात्मक सोच को मिटाना होगा।बेटियों के लिए कुछ पंक्तियाँ लिखी है जरा ध्यान से पढ़िएगा। बेटियों के दरिंदे कभी सुना था दादी नानी की जुबानियों में, के कभी होते थे दरिंदे हैवान कहानियों में, लगता था डर सुनके, कभी