ब्राह्मण की बेटी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण - 4 संध्या का स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से बिगड़ता जा रहा है, पिता के उपचार से लाभ होना, तो दूर रहा, उलटे हानि हो रही है। जगदधात्री डॉक्टर विपिन से सम्पर्क करने को कहती और संध्या असहमति में झगड़ा करती। आज शाम संध्या द्वारा बनाये साबूदाना को अनमने भाव से निगल गयी; क्योंकि यह पथ्य उसे कभी रुचिकर नहीं रहा, किन्तु आज माँ उपालम्भ से बचने के लिए वह न चाहते हुए भी निगल गयी। वह इस तथ्य से भली प्रकार परिचित थी कि उसकी माँ का सारा ध्यान इस ओर टिका होगा